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Retirement Pension: पेंशन बुढ़ापे का सहारा, सेवानिवृत्त कर्मियों को 1146, 1370 और 1520 रुपए मिल रही पेंशन, अब भी सरकार कहेगी एनपीएस सही

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Retirement Pension: पेंशन बुढ़ापे का सहारा, सेवानिवृत्त कर्मियों को 1146, 1370 और 1520 रुपए मिल रही पेंशन, अब भी सरकार कहेगी एनपीएस सही

 

पैशन यानी बुढ़ापे का सहारा बालती उम्र का संबल। अपनों की उपेक्षाओं के बीच भरोसे की संजीवनी। लेकिन, बिहार में सितंबर 2005 से लागू नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) ने सरकारी कर्मचारियों के इस भरोसे को तोड़ दिया है। स्कूल शिक्षक के पद से रिटायर सहरसा के जयाकाश मिश्र को महज 1146, मुजफ्फरपुर के विनोद कुमार सिंह को 1520 और बांका के विजय कुमार सिंह को 1370 रुपए पेंशन मिलती है। ये तो महज कुछ उदाहरण भर हैं।

ये दिन-रात इस दर्द में छूट रहे हैं कि बुढ़ापा आखिर कैसे कटेगा? नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद से जो भी सरकारी कर्मचारी रिटायर हुए हैं, उनकी माली हालत बेहद खराब है। क्योंकि, एनपीएस में न्यूनतम पेंशन की रकम का कोई प्रावधान ही नहीं है। इसे पूरी तरह बाजार के हवाले कर दिया गया है। जबकि, पुरानी पेशन स्कीम में इसकी गारंटी थी।

यह अंतिम बैठन के 50% तक होता था और सारी जिम्मेदारी सरकार अपने ऊपर ले रखी थी। लेकिन, हकीकत है कि एनपीएस लागू करने के वक्त और बाद में भी दावा किया जाता रहा है कि यह कर्मचारियों के हित में है। शेयर बाजार में पेंशन अंशदान के निवेश से उन्हें काफी लाभ होगा। लेकिन, कर्मचारी संगठनों का दावा है कि पेंशन की राशि अपने आप सच्चाई चयां कर रही है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या एनपीएस वास्तव में सही है?

₹1146 पेंशन में तो दवा का आधा खर्च भी नहीं निकलता?

सहरमा के रहुअमणि मांडिल स्कूल से शिक्षक पद से रिटायर हुए जयप्रकाश मिश्र को महंगाई के इस दौर में महज 1146 रुपए पेंशन मिल रही है। जबकि, उनका अंतिम येतन 36000 रुपए था अपनी बेचारगी बयां करते हुए बोले-आज के समय में 1146 रुपए में क्या हो सकता है। दवा का आधा खर्च भी नहीं निकल पाता।

₹1520 में कैसे कटेगा जीवन?

विनोद सिंह को 1520 रुपए पेंशन मिलती है। जब वह मुजफ्फरपुर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चमरुआ से साल 2019 में रिटायर हुए उस समय उनका वेतन 50000 रुपए था। यह 2012 में सेवा में आए थे। उन्होंने अपना दर्द साइनस करते हुए कहा कि इतने कम पैसे में कैसे बुढ़ापा कटेगा, सरकार को सोचना चाहिए।

₹1370 पेंशन तो सही मायने में बुढ़ापे का मजाक?

बांका के विजय सिंह की स्थिति भी ऐसा ही है। उनको भी 1370 रुपए पेंशन मिलती है। अंतिम बेतन 43000 रुपए था। 13 फरवरी 2012 को बहाल हुए विजय बाबू मध्य विद्यालय मंझधपाय से जनवरी 2018 में शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए थे। बोले-इतनी कम पेंशन में कैसे गुजारा होगा। यह बुढ़ापे का मजाक है।

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₹2758 पेंशन धोखा है, ओपीएस लागू करे सरकार?

जाकिर हुसैन मीडिल स्कूल कुथा, अरवल में शिक्षक थे। एक फरवरी 2012 को को उन्होंने नौकरी ज्वाइन की और 31 अक्टूबर 2021 को सेवानिवृत्त हुए। उनकी पेंशन 2758 रुपए तम हुई है। बकौल आकिर हुसैन, एनपीएस कर्मियों के साथ धोखा-लूट है। सरकार तत्काल इसे बंद कर पुरानी पेंशन (ओपीएस) लागू करे।

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पीएफआरडीए तय करता है कहां पर निवेश होगा पैसा?

यूपीए सरकार ने 2005 में पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्रधिकरण विधेयक (पीएफआरडीए) पेश किया। वामदलों के विरोध से बिल 8 साल तक अटका रहा।

कानून 2013 में परित हुआ। यानी पेंशन फंड का रेग्यू‌लेटर पीए‌फआरडीए को बनाया गया। बहीं तय करता है कि पैसा कैसे निवेश होगा। प्रमुखतः एसबीआई, यूटीआई और एलआईसी जैसे फंड मैनेजर संस्थाओं के जरिये पैसे का निवेश सरकारी बांड, कॉरपोरेट बांड और इक्यूटी में होता है।

कुल जमा का 60% कर्मियों को वापस, 40% पर पेंशन?

हर माह कर्मचारियों के वेतन (बेसिक डीए) का 10% कटता है। सरकार 14% अंशदान देती है। पूरे सेवाकाल में किसी कर्मचारी के फड में जितनी रकम जमा होगी, उसको वैल्यू सेवानिवृत्ति के दिन शेयर बाजार में जितनी होगी, वहीं कर्मियों के हिस्से आएगा।

इस पूरी रकम का 60% हिस्स्सा कर्मियों को लौटा दिया जाएगा। शेष 40% राशि को पेशन के लिए रखा जाएगा। पेंशन के लिए कर्मचारियों को ही बीमा कंपनी चुननी होगी। रिटायर कर्मी जिस कंपनी की चुनेंगे, 40% राशि उसके खाते में जमा हो जाएगी। इसी पर पेंशन फिक्स होगी। यह कितनी होगी, अभी बताना संभव नहीं है।

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