Modi Sarkar Rojgar guarantee: मोदी सरकार मनरेगा को खत्म करने में लगी है, कांग्रेस ने लगाया बाद आप जल्दी देखें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना गारंटी को खत्म करने में लगे हुए हैं।
पार्टी महासचिव जय राम रमेश ने सोशल मीडिया साइट पर पोस्ट किया मनरेगा 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए हमारे घोषणा पत्र के मुख्य वादों में से एक रहा था हमने एक साल के अवधि में ही अपना यह वादा को पूरा करते हुए 2005 में इस कानून को पारित किया और 2006 में शुरुआत में इसे लागू की गई।
उन्होंने कहा यह कहां योजना ग्रामीण भारत के लिए परिवर्तनकारी साबित हुई है लगभग पिछले 18 वर्षों के अध्ययन से पता चलता है कि इससे ग्रामीण आई में कुछ हद तक वृद्धि हुई है गरीबी और भुखमरी से कमी आई है और यह महिलाओं और एससी / एसटी/ओबीसी के श्रमिकों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक साबित हुई है।
मोदी सरकार पर उन्होंने आरोप लगाया कि मनरेगा श्रमिकों का अपमान करने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है और वह कहते हैं कि इसे सिर्फ गरीबों को गड्ढा खुदवाया जाता है शायद उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि अपनी मेहनत से मनरेगा श्रमिक के भारत के विकास में योगदान दे रहे हैं वह सिंचाई टैंक सड़क नहर जंगल बंद और भी बहुत कुछ बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि वह मनरेगा को कांग्रेस की विफलताओं के जीवित स्मारक के रूप में जीवित रखेंगे लेकिन कोविद लॉकडाउन के दौरान उन्हें इसकी कीमत समझ आई होगी जब मनरेगा ने लाख करोड़ से अधिक की आय के साथ पूरे भारत में करोड़ों श्रमिकों को अपनी जीव का चलाने में मदद किया।
महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए हमारे घोषणापत्र के मुख्य वादों में से एक था। हमने 1 साल के भीतर ही अपना यह वादा पूरा करते हुए 2005 में कानून पारित किया और 2006 के शुरुआत में इसे लागू किया।
यह योजना ग्रामीण भारत के लिए परिवर्तनकारी साबित…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 3, 2024
महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए हमारे घोषणापत्र के मुख्य वादों में से एक था। हमने 1 साल के भीतर ही अपना यह वादा पूरा करते हुए 2005 में कानून पारित किया और 2006 के शुरुआत में इसे लागू किया।
यह योजना ग्रामीण भारत के लिए परिवर्तनकारी साबित हुई है। पिछले 18 वर्षों के रिसर्च से पता चलता है कि इससे ग्रामीण आय में वृद्धि हुई है, ग़रीबी और भुखमरी में कमी आई है और यह महिलाओं और एससी/एसटी/ओबीसी के श्रमिकों के लिए सबसे ज़्यादा लाभदायक साबित हुआ है। इससे श्रमिकों को सम्मान मिलता है क्योंकि इसके तहत रोज़गार अधिकार के रूप में मिलता है, न कि ‘रेवड़ी’ के रूप में, जैसा कि प्रधान मंत्री बोला करते हैं।
नरेंद्र मोदी का मनरेगा श्रमिकों का अपमान करने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है। वह कहते हैं कि इससे सिर्फ़ ग़रीबों से गड्ढा खुदवाया जाता है। शायद उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि अपनी मेहनत से मनरेगा श्रमिक भारत के विकास में योगदान दे रहे हैं – वे सिंचाई टैंक, सड़कें, नहरें, जंगल, बांध और भी बहुत कुछ बना रहे हैं।
2015 में, पीएम मोदी ने कहा कि वह मनरेगा को कांग्रेस की विफलताओं के ‘जीवित स्मारक’ के रूप में जीवित रखेंगे। लेकिन कोविड लॉकडाउन के दौरान उन्हें इसकी वैल्यू समझ आई होगी, जब मनरेगा ने 1 लाख करोड़ से अधिक की आय के साथ पूरे भारत में करोड़ों श्रमिकों को अपनी जीविका चलाने में मदद किया। प्रधानमंत्री को एक महामारी के बाद यह एहसास हुआ कि मनरेगा ग्रामीण भारत को फसल के नुक़सान और आर्थिक संकट जैसी आपात स्थितियों के ख़िलाफ़ बैकअप प्रदान करता है।
यह पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री को UPA की योजनाओं के महत्व का एहसास हुआ है। लॉकडाउन के दौरान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और 2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का भी उन्हें महत्व समझ आया, जिसकी उन्होंने संसद में आलोचना की थी लेकिन पीएम-गरीब़ कल्याण योजना के रूप में रीब्रांडिंग करके उसे चलाया जा रहा है।
बेशक, प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्र मनरेगा से खुश नहीं हैं और प्रधानमंत्री अपने अहंकार में कांग्रेस की योजनाओं को ध्वस्त करने के लिए कुछ भी करने की कोशिश करेंगे, भले ही इससे ग़रीबों का नुक़सान ही क्यों न हो। यही कारण है कि वह मनरेगा को ख़त्म करने में लगे हैं।
— पिछले कुछ वर्षों में मनरेगा के लिए बजट में बार-बार कटौती की गई है। 2023-24 में यह GDP का 0.25% था, जो कि इसके इतिहास में सबसे कम था।
— भाजपा ने पारदर्शिता का बहाना बनाकर कांग्रेस सरकार में शुरू किए गए आधार तकनीक को ग़रीबों के ख़िलाफ़ एक हथियार में बदल दिया है।
— इसने जनवरी 2024 से प्रत्येक मनरेगाकर्मी के लिए आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) को अनिवार्य कर दिया है। हालांकि, 35% पंजीकृत श्रमिक इसके तहत भुगतान प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं।
— पिछले कुछ वर्षों में 7 करोड़ जॉब कार्ड डिलीट किए गए हैं।
— राष्ट्रीय मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) को अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन भारत के कई हिस्सों में डेटा कनेक्शन उपलब्ध नहीं है, और कई लोगों के पास स्मार्टफ़ोन नहीं हैं।
जैसा कि @RahulGandhi
ने कहा है, श्रमिक न्याय कांग्रेस पार्टी के विज़न का एक मुख्य हिस्सा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा का अभिन्न अंग है। हम भारत के श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे, जो इस देश को लगातार मजबूत करने के काम में लगे हैं।
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