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लेकिन आप साधु नहीं हो, विरक्त नहीं हो. लोग तो यहीं कहेंगे कि प्रसाद है ले लीजिए. लेकिन प्रणाम कर वहां से आगे बढ़ जाइए.
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'तुम भी कमाओ. सोचो कि कभी पांच किलो हलवा बनाकर बांटेंगे. खाने की जरूरत नहीं है.'
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वो कहते हैं, कहीं परिक्रमा हो रही है और वहां हलवा बंट रहा है, कोई दूध बांट रहा है, कोई चाय बांट रहा है तो मुफ्त में नहीं लेना चाहिए. इससे पुण्य क्षीण हो जाता है
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अगर आप गृहस्थ हैं. किसी आश्रम गए हैं और वहां भोजन मिल गया है तो वहां कुछ रुपया जरूर दे देना चाहिए.
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अगर आप गृहस्थ हैं. किसी आश्रम गए हैं और वहां भोजन मिल गया है तो वहां कुछ रुपया जरूर दे देना चाहिए.
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प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया है कि कहीं भी मुफ्त में भोजन कर लेना कितना खतरनाक है.
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि फ्री में भोजन नहीं करना चाहिए. फ्री सेवा नहीं लेना चाहिए. तभी जीवन में पुण्य प्राप्त होगा.
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ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि लोग शिविर लगाकर साधुओं या गरीबों को भोजन करा रहे होते हैं.
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प्रेमानंद महाराज जी की कत्था देखें
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